स्वास्थ्य और जीवनशैली

दांतों से नाखून काटने की आदत: क्या यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?

परिचय

दांतों से नाखून काटने की आदत, जिसे “ओनीकोफेजिया” के नाम से भी जाना जाता है, एक आम समस्या है जो कई उम्र के व्यक्तियों में पाई जाती है। यह आदत बहुत ही सामान्य है और अक्सर बचपन में शुरू होती है। चिकित्सा मामलों के अनुसार, लगभग 30% बच्चों और किशोरों में यह आदत पाई जाती है। इसके अलावा, लगभग 15-20% वयस्क भी इस समस्या का सामना कर सकते हैं।

दांतों से नाखून काटना कई लोगों के लिए तनाव, चिंता या बोरियत के समय एक सहज क्रिया बन जाती है। कुछ लोग इसे बिना सोच-समझ के करते हैं, जबकि अन्य इसे जानबूझकर करते हैं। नाखून काटने की यह आदत सौम्य लग सकती है, लेकिन यह कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है। यह आदत न केवल नाखूनों और आस-पास की त्वचा को नुकसान पहुँचाती है, बल्कि इससे कई तरह के संक्रमणों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस आदत के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि यह किस प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके अलावा, हम यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि इस आदत को छोड़ने के लिए कौन-कौनसे उपाय उपलब्ध हैं।

नाखून काटने का कारण

नाखून काटने की आदत, जिसे चिकित्सकीय रूप से ‘ऑनिकोफेगिया’ कहा जाता है, कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। सबसे प्रमुख कारणों में से एक चिंता और तनाव है। जब लोग चिंता या तनाव महसूस करते हैं, तो वे अक्सर अपनी ऊर्जा और ध्यान को कुछ अन्य कार्यों में निवेश करने के लिए उस तनाव को राहत देने की कोशिश करते हैं। इसी प्रकार, नाखून काटना भी तनावपूर्ण परिस्थितियों में सहायक हो सकता है और अल्पकालीन राहत प्रदान करता है।

अगला महत्वपूर्ण कारण बोरियत है। कई लोग खाली समय में या तब जब उनके पास कुछ करने के लिए नहीं होता, तब नाखून काटते हैं। यह एक बेहोश प्रतिक्रिया हो सकती है जो समय के साथ आदत बन जाती है। एक बार जब यह आदत बन जाती है, तो इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो सकता है।

आनुवंशिक कारकों की बात करें, तो शोध में यह भी पाया गया है कि नाखून काटने की प्रवृत्ति परिवारों में देखी जा सकती है। कुछ मामलों में, जब बच्चों ने देखा कि उनके माता-पिता या बड़े भाई-बहन यह आदत अपनाते हैं, तो वे भी इसे अपनाने लगते हैं।

अकेलेपन और आत्म-अधीनता की भी संभाव्यता है। कुछ मनोवैज्ञानिक सिद्धांत यह इंगित करते हैं कि नाखून काटने वाले लोग अपने आत्मसम्मान में कमी महसूस करते हैं और यह आदत उन्हें अपने आत्म-नियंत्रण को मजबूत करने का प्रयास करती है। अधिकतर मामलों में, नाखून काटने की आदत बचपन में प्रारंभ होती है और समय के साथ जारी रहती है।

अंतिम में, नाखून काटने का एक और संभावित कारण यह है कि यह एक आदत मात्र हो सकती है, जो समय के साथ मानसिक या शारीरिक प्रतिक्रिया के रूप में विकसित हो गई है। आदतन नाखून काटने का संबंध मस्तिष्क के उसी भाग से होता है, जो आदतन गतिविधियों को नियंत्रित करता है। इसलिए इसे बदलना मुश्किल हो सकता है, खासकर तब जब इसे वर्षों से अंजाम दे रहे हों।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

दांतों से नाखून काटने की आदत बहुत से लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन इस आदत के पीछे छुपे हुए स्वास्थ्य जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सबसे पहले, दांतों से नाखून काटने से दांतों को सीधे नुकसान पहुँचता है। बार-बार नाखून काटने से दांतों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे दांतों में चिप्स, दरारें या माइक्रोफ्रैक्चर्स उत्पन्न हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, नाखूनों में जमी गंदगी और बैक्टीरिया दांतों के संपर्क में आकर दाँतों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

दूसरी समस्या नाखून और आसपास की त्वचा से जुड़ी होती है। नाखून काटने से नाखूनों का आकार विकृत हो सकता है और उनका प्राकृतिक विकास रुक सकता है। इससे नाखून और त्वचा के बीच छोटे घाव या फंगस आदि संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। बार-बार नाखूनों को दांतों से काटने पर नाखून के नीचे की त्वचा में जलन, सूजन और दर्द की समस्या आम हो जाती है।

संक्रमण का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है। नाखूनों के नीचे कई बैक्टीरिया और वाइरस छिपे होते हैं। इन्हे मुंह में डालने से यह सीधे पाचन तंत्र और ओरल कैविटी में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे बुखार, पेट की समस्याएं, या अन्य गंभीर संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसके अतिरिक्त, यदि नाखून से गहरी घाव हो जाए, तो यह और भी गंभीर हो सकता है और मेडिकल इमरजेंसी का कारण बन सकता है।

अंततः, दांतों से नाखून काटने की आदत सामाजिक धारणाओं पर भी विपरीत प्रभाव डालती है। यह आदत व्यक्तिगत रूप से गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकती है और दूसरों के सामने शर्मिंदगी का कारण बन सकती है। अतः इसे एक न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक कारणों से भी रोकने की आवश्यकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नाखून काटने की आदत, जिसे औनिकोफेजिया भी कहा जाता है, सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है। यह आदत अक्सर चिंता (anxiety) और तनाव (stress) से जुड़ी होती है, और यह दोनों ही मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण समस्याएं हैं।

कई शोधों के अनुसार, नाखून काटने वाले व्यक्ति अक्सर मानसिक तनाव या चिंता के कारण इस आदत को विकसित करते हैं। यह एक प्रकार का नर्वस हैबिट (nervous habit) है, जिसका मतलब है कि यह आदत चिंता के समय राहत पाने के लिए की जाती है। हालांकि, यह राहत अस्थायी होती है और दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

चिंता के अलावा, नाखून काटने की आदत डिप्रेशन (depression) से भी जुड़ी हो सकती है। कई बार, यह आदत आत्म-सम्मान (self-esteem) में कमी का संकेत हो सकती है। जब व्यक्ति अपने नाखून काटते हैं, तो वे अक्सर खुद को लेकर नकारात्मक विचारों में खो जाते हैं, जिससे उनका आत्म-सम्मान और भी गिर सकता है।

स्वयं की छवि (self-image) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। नाखून काटने वाले व्यक्ति को समाज में अपने नाखून छिपाने की जरूरत महसूस हो सकती है, जिससे उनमें आत्म-विश्वास की कमी हो सकती है। इस कारण व्यक्ति सामाजिक स्थितियों से बचने की कोशिश कर सकता है, जो उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं के अलावा, नाखून काटने की आदत ऐसे व्यक्तियों में अधिक सामान्य होती है, जिन्हें ओसीडी (obsessive-compulsive disorder) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। इस प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं इस आदत को और भी बढ़ावा देती हैं और उपचार की आवश्यकता को बढ़ाती हैं।

इस प्रकार, नाखून काटने की आदत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को संज्ञान में लेते हुए, सही मदद और सलाह ली जानी चाहिए।

नाखून काटने की पहचान कैसे करें

नाखून काटने की आदत आमतौर पर आईने में साफ दिखाई देती है, किंतु इसका पता चलाना कुछ लोगों के लिए कठिन हो सकता है। इन लक्षणों और संकेतों की मदद से आप यह जान सकते हैं कि आप या आपके करीबी इस आदत से जूझ रहे हैं या नहीं, और क्या यह आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

पहला महत्वपूर्ण संकेत यह है कि नाखून आपके उंगलियों पर छोटे होते जाते हैं। यदि आपके नाखून सनकी तौर पर टूटते हैं या उनका आकार असमान हो जाता है, तो यह नाखून काटने की आदत का प्रमाण हो सकता है। इसके साथ ही, नाखूनों की सतह भी असमान और कभी-कभी घाव जैसी लग सकती है।

इसके अतिरिक्त, कई लोग अनचाहे या अनजाने में अपने नाखून काटते हैं, खासकर तब जब वे चिंतित, उदास या ऊब गए हों। मानसिक तनाव के समय में इस आदत का आवर्ती होना आम बात है। अतः अगर आप बार-बार नाखून काट रहे हैं, तो यह भी एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।

और, यदि आपके उंगलियों के आसपास लालिमा, सूजन या दर्द महसूस हो, तो यह संकेत हो सकता है कि आप अपने नाखूनों को बार-बार काट रहे हैं। इस प्रकार की समस्याएँ स्थानीय संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं।

अगर आपके नाखूनों और उंगलियों की स्थिति उपरोक्त लक्षणों में से किसी एक से मेल खाती है, तो यह निश्चित ही नाखून काटने की आदत की ओर संकेत करता है। इस आदत को समझना और पहचानना इसका पहला कदम है, ताकि आप आगे चलकर इसे रोकने के उपाय अपना सकें।

नाखून काटने की आदत को छोड़ने के उपाय

नाखून काटने की आदत एक आम समस्या है, लेकिन इससे छुटकारा पाना संभव है। नाखून काटना न केवल आपके दांतों और मुंह के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इसके अनेक अन्य नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए कुछ मनोवैज्ञानिक और चिकित्सा उपाय के साथ-साथ प्राकृतिक उपाय भी अपनाए जा सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक तरीके

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, नाखून काटना अक्सर स्ट्रेस और चिंता का परिणाम होता है। इस आदत को छोड़ने के लिए, तनाव प्रबंधन की तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है, जैसे कि योग, मेडिटेशन, या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज। इसके आलावा, किसी मनोवैज्ञानिक से काउंसलिंग करवाना भी एक प्रभावी उपाय हो सकता है, जो आपकी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा।

चिकित्सा उपाय

यदि मनोवैज्ञानिक तरीके पर्याप्त न हों, तो मेडिकल अवधि की सहायता ली जा सकती है। बाज़ार में अनेक तरह की एंटी-बाइटिंग नेल पॉलिश उपलब्ध हैं, जो नाखूनों को काटने से रोकती हैं। इन पॉलिशों में कड़वे तत्व शामिल होते हैं, जो मुंह में कड़वाहट पैदा करते हैं और नाखून काटने से रोकते हैं। इसके अलावा, डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श कर नाखूनों की देखभाल के उपाय भी समझे जा सकते हैं, जो नाखून को फूटने या टूटने से बचाते हैं।

प्राकृतिक उपाय

प्राकृतिक उपाय से भी नाखून काटने की आदत को छोड़ने में मदद मिल सकती है। जैसे कि, नाखूनों को छोटा रखना और नियमित रूप से ट्रिम करना, जिससे उनके काटने का लालच कम होता है। इसके आलावा, नाखूनों को चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए नेल आर्ट या नेल पॉलिश का उपयोग करें। यह आपके आत्म-सम्मान को बढ़ाने में भी मदद करेगा। इसके साथ ही, अगर आप अपने हाथों को व्यस्त रखते हैं, तो नाखून काटने की संभावना कम हो सकती है। हाथों को व्यस्त रखने के लिए फिज्जेट टॉयज, स्ट्रेस बॉल, या पेंसिल स्पिनिंग जैसी गतिविधियाँ कर सकते हैं।

इन उपायों का नियमित रूप से पालन करने से नाखून काटने की आदत को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है और पूर्ण रूप से इस आदत से छुटकारा पाया जा सकता है।

मदद और समर्थन के स्रोत

दांतों से नाखून काटने की आदत से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता और समर्थन उपलब्ध हैं। यह आवश्यक नहीं कि आप अकेले ही इस आदत से जूझें क्योंकि कई विशेषज्ञ और संगठन हैं जो इस मुद्दे में मदद कर सकते हैं।

चिकित्सा के क्षेत्र में, सामान्य चिकित्सक के साथ परामर्श करना पहला कदम हो सकता है। डॉक्टर आपको व्यवहार चिकित्सा (Behavioral Therapy) और संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive Behavioral Therapy) की सलाह दे सकते हैं, जो इस आदत को रोकने में सहायक हो सकते हैं। इन विधियों में, एक प्रशिक्षित चिकित्सक आपके साथ कार्य करते हुए आपके व्यवहार को समझने और बदलने में मदद करता है।

इसके अतिरिक्त, सम्मोहन चिकित्सा (Hypnotherapy) का भी उपयोग किया जा सकता है। इस विधि में, सम्मोहन चिकित्सक आपके अवचेतन मन को प्रभावित करते हैं जिससे आप इस आदत को छोड़ने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। सम्मोहन चिकित्सा को सुरक्षित और प्रभावी उपचार के रूप में देखा गया है, विशेषकर जब दूसरे तरीकों से सफलता नहीं मिलती।

सामाजिक समर्थन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। परिवार और दोस्तों का सहयोग और समर्थन इस आदत से छुटकारा पाने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, कई ऑनलाइन और ऑफलाइन समुदाय और समर्थन समूह मौजूद हैं जो समान समस्याओं का सामना करने वाले लोगों के साथ विचार-विमर्श और समर्थन प्रदान करते हैं।

यदि आप बच्चों के लिए समाधान खोज रहे हैं, तो स्कूल परामर्शदाता और बाल चिकित्सक एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। वे बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को समझते हुए उनके लिए अनुकूल चिकित्सा और समर्थन का प्रावधान कर सकते हैं।

अंततः, इस आदत से निपटने के लिए विभिन्न विकल्प और समर्थन प्रणाली उपलब्ध हैं। उपयुक्त चिकित्सा और सामाजिक समर्थन के माध्यम से, दांतों से नाखून काटने की आदत को प्रभावी ढंग से नियंत्रित और समाप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष

दांतों से नाखून काटने की आदत कुछ ऐसा है जिसे अक्सर लोग अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह आदत वास्तव में स्वास्थ्य के लिए कई समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। चाहे वह विभिन्न संक्रमणों का जोखिम हो या दांतों और मसूड़ों से संबंधित समस्याएं, इस आदत के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, यह मानसिक तनाव और चिंता का भी संकेत हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आदतों को सुधारें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। नाखून काटने की आदत को छोड़ने के लिए पर्याप्त मनोवैज्ञानिक सहायता और अलग-अलग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। आप तकनीकों जैसे उठने और समय-समय पर हाथों को धोने, हाथों में फिजेट स्पिनर रखने या नाखूनों में कड़वी क्रीम का प्रयोग कर सकते हैं।

स्वंय की देखभाल और स्वस्थ आदतों को अपनाना हमारे तनाव को कम करने और हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाने में सहायता कर सकता है। नाखून काटने की आदत को छोड़कर, हम स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं, जो न केवल हमारे भौतिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक और सामाजिक तंदुरुस्ती के लिए भी महत्वपूर्ण है।

अंततः, दांतों से नाखून काटने की आदत को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। स्वस्थ आदतों का पालन करना और अपनी स्वंय की देखभाल करना पूरे स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने की कुंजी है।

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