“कभी-कभी हम मुस्कुराते हैं… सिर्फ ये दिखाने के लिए कि हम टूटे नहीं हैं”
जब कोई अपना होकर भी अपना नहीं लगता…
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Rule 90 की बात क्यों हो रही है?
हम सभी चाहते हैं कि हमारा रिश्ता मजबूत, प्यार भरा और तनावमुक्त हो। पर क्या आपने कभी किसी छोटी सी बहस के पीछे गहरे दर्द का अहसास किया है? Psychology Today और Forbes जैसे प्रतिष्ठित स्रोत बताते हैं कि:
केवल 10% तक ही लड़ाई सतही कारणों से होती है — जैसे बर्तन रखने का तरीका, समय पर जवाब न देना या एक छोटी सी बात का भूल जाना। लेकिन बाकी 90% वो भावनाएँ होती हैं, जो ग़ैर-आवाज पर रह जाती हैं; जैसे अनदेखापन, असुरक्षा, पिछ्ले घाव और अपीरित उम्मीदें
इसी को हम Rule Number 90 कह सकते हैं — रिश्ते की लड़ाइयों की 90% वजह वह होती है जो सतह पर दिखाई नहीं देती।
Rule 90 क्या कहता है? — सरल शब्दों में समझें
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जब आप अपसे नाराज़ होते हैं, तब आपके गुस्से में उस बात का बहुत कम हिस्सा (10%) होता है जो अभी कहा गया हो।
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बाकी 90% आपका खुद का emotional baggage है — बचपन की पीड़ा, अनमनी उम्मीदें, पिछला दर्द
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इस Rule की सबसे बड़ी ताकत ये है कि यह आपको और आपके पार्टनर को समझने का मौका देता है कि लड़ाई का असली कारण कौन सी अप्रकट भावना है।
Rule 90 में दया और समझ की महिमा
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आप झगड़े पर रिएक्ट नहीं करते—बल्कि सवाल करते हैं: यह गुस्सा वास्तव में किस चीज़ से जुड़ा है?
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“क्या यह उस दिन पिछले महीने से जुड़ा है जब मुझे तुम्हारा मैसेज का इंतज़ार हुआ था?”
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इससे लड़ाई खत्म नहीं होती, बातचीत शुरू होती है।
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सतही बातों से शुरू हों, पर जल्दी गहराई में जाएँ।
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जब हम यह समझ लेते हैं कि 90% वो है जो महसूस हो रहा है—लेकिन कह नहीं पा रहे, तब बदलाव का रास्ता खुल जाता है।
Rule 90 की असलियत — एक कहानी
“अनु और रोहित की कहानी” — जहाँ रोहित घर देर से लौटता था, और अनु उसे भूलने या प्यार नहीं करने की वजह कहने लगी। पर असल में वह महसूस करती थी कि रोहित उसे प्राथमिकता नहीं देता — एक पुराना दर्द था कि वह कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा। बातचीत के दौरान ये बात सामने आई और फिर संवाद हुआ।)
Rule 90 से सीखने के 4 स्टेप्स
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Pause, समझें: अगली बार जब आप झगड़ा महसूस करें, पहले खुद से पूछें — क्या यह सिर्फ यही बात है या कुछ और है?
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महसूस करें और शब्दों में पिरोएँ: “मैं उदास महसूस करता हूँ जब…”—इस तरह की vulnerability दिखाएँ।
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नही आलोचना, लेकिन सहानुभूति से बात करें: “तुम्हारी बात सुनकर मुझे ये सोचने का मौका मिला…”
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रोग नहीं, संवेदनशीलता दिखाएँ: यह नियम इलाज नहीं लेकिन समझ का पहला कदम है।
Rule 90 क्यों ज़रूरी है?
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यह ज़हर की तरह बढ़ते जख्म को समय रहते पहचानने में मदद करता है।
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संबंध में विश्वास और गहराई बढ़ाता है।
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सतही तर्कों की जगह वास्तविक भावनाओं को महत्व देता है।
“जब तुम्हारे शब्द सतही से गहराई की तरफ जाते हैं, तब रिश्ता भी उस गहराई को समझने लगता है।
Rule 90 बताता है—हम सतह पर नहीं, दिल की गहराई में झांकें।”
अंत में — एक सवाल आपके लिए
“आज आपने अपने रिश्ते में उस 90% भावनात्मक सच को जानने की कोशिश की?”
यदि नहीं, तो आज सही मौका है—क्योंकि रिश्तों को समझने से पहले, हमें आमने-सामने और अंदर से देखना होता है।
“अगर आपको मेरा लिखा हुआ पसंद आता है और किसी के रिश्ते को उससे फायदा होता है, तो मुझे ❤️ रेड हार्ट भेजकर बताइए, ताकि मुझे भी पता चले कि आपको मेरा काम अच्छा लग रहा है और आप चाहते हैं कि मैं इसे जारी रखूँ।
और अगर आपको अच्छा नहीं लगता, तो 🖤 ब्लैक हार्ट भेजकर अपनी राय दीजिए।
साथ ही, आप जिस टॉपिक पर चाहते हैं कि मैं लिखूँ, वो भी कमेंट में बताइए — मुझे बहुत अच्छा लगेगा।”
Red heart