जब कोई अपना होकर भी अपना नहीं लगता…

💔 जब कोई अपना होकर भी अपना नहीं लगता…

कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे लोग मिलते हैं, जिनसे हम बहुत उम्मीदें करते हैं, जिन्हें अपना मान लेते हैं…
पर धीरे-धीरे वही लोग हमें सबसे ज़्यादा अनजान लगने लगते हैं।
उनकी बातें, उनका बर्ताव – सब कुछ बदल जाता है।
वो पास होकर भी दूर लगते हैं।

जिसे हम हर बात बताते थे,
जिससे हम अपने सपने, डर और खुशियाँ बाँटते थे,
आज उसी से बात करने में झिझक होती है।
कभी जो आँखें हमें समझ जाती थीं,
अब वो आँखें जैसे हमें अनजान देखती हैं।


😢 क्यों होता है ऐसा?

  • लोग बदल जाते हैं या उनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं।

  • हमारे और उनके बीच communication कम हो जाता है।

  • कोई तीसरा व्यक्ति बीच में आ जाता है।

  • या फिर हम खुद उनकी ज़रूरत नहीं रह जाते।

पर जो भी वजह हो, इस दर्द को सिर्फ महसूस किया जा सकता है, समझाया नहीं जा सकता।


🧘‍♀️ ऐसे समय में क्या करें?

  1. खुद से जुड़ें – अपनी पहचान और खुशी को किसी और पर निर्भर न करें।

  2. भावनाओं को लिखें – जैसे आप ये ब्लॉग पढ़ रहे हैं, वैसे ही अपने जज़्बातों को कागज़ पर उतारें।

  3. सीखें और आगे बढ़ें – हर अनुभव हमें मज़बूत बनाता है। ये भी एक सफर है।

  4. अपनी वैल्यू समझें – जो आपको नहीं समझ पा रहा, शायद वो आपको deserve नहीं करता।


🌟 एक संदेश हर टूटे दिल के लिए:

“अगर कोई अपना होकर भी पराया लगे,
तो खुद को इतना अपना बना लो कि किसी की ज़रूरत न पड़े।”

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