मैं थक गई हूँ… पर रुकना नहीं चाहती: एक औरत की मुस्कुराती जंग

“मैं थक गई हूँ… पर रुकना नहीं चाहती”

हर सुबह सूरज की किरणों के साथ एक नई उम्मीद जागती है… लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी होते हैं जिनके लिए हर सुबह एक जंग की तरह होती है। यह कहानी है एक औरत की — जो बाहर से मुस्कुराती है, पर अंदर से रोज़ खुद को संभालती है।

वो सिर्फ एक पत्नी नहीं, एक माँ नहीं, एक बहू नहीं — वो एक इंसान है। उसकी भी एक पहचान है, एक दुनिया है जो अक्सर उसके कंधों पर लदी होती है।

🌼 जब थकान आवाज़ बन जाती है…

“थक गई हूँ…” — ये शब्द उसके दिल में रोज़ गूंजते हैं, पर ज़ुबान तक नहीं आते। क्योंकि उसे पता है, अगर वो रुक गई तो उसके पीछे जुड़ी ज़िंदगियाँ भी रुक जाएंगी।
कभी बच्चों की मुस्कान की वजह बनती है, तो कभी घर की शांति का कारण।
कभी सास-ससुर के तानों में चुप रहती है, तो कभी पति की नाराज़गी में खुद को ही दोष देती है।

🌿 मुस्कुराहट के पीछे छुपा दर्द

लोग उसकी हँसी को देखकर कहते हैं – “तुम्हें तो सब कुछ मिला है।”
पर कोई ये नहीं देखता कि वो हर रात रोकर सोती है…
किसी ने नहीं पूछा कि उसके सपने क्या थे?
कभी उसने खुद से ही सवाल किया – “क्या मैं सिर्फ दूसरों की खुशी के लिए बनी हूँ?”

🔥 पर रुकना नहीं है…

हाँ, वो थकती है।
हाँ, उसे भी कभी-कभी चुपचाप कहीं दूर चले जाने का मन करता है।
पर फिर वो खुद को याद दिलाती है –
“मैं कमजोर नहीं हूँ, मैं सिर्फ इंसान हूँ।”
“और इंसान थकता है… लेकिन हारता नहीं।”

🌈 हर औरत एक योद्धा है

इस समाज में जो औरत बिना शिकायत के हर दिन अपने दर्द को छुपा कर मुस्कुराती है, वो एक जिंदा मिसाल है।
वो सिर्फ घर नहीं चलाती, वो उम्मीदों को ज़िंदा रखती है।
वो अपनी इच्छाओं को कुचल कर भी दूसरों के सपनों को उड़ान देती है।


💖 अंत में…

अगर आप भी ऐसी ही औरत हैं —
जो रोज़ लड़ती हैं, थकती हैं, टूटती हैं पर फिर भी रुकती नहीं…
तो आज खुद को एक गले लगाओ और कहो:
“मैं Proud हूँ खुद पर!”