शुरुआत एक सवाल से…
“कब रोए थे आप आखिरी बार?”
अगर आप एक पुरुष हैं, तो शायद इस सवाल का जवाब सोचकर ही गला भर आया होगा।
मगर अगले ही पल एक आवाज़ आती है —
“अरे, तू मर्द है! मर्द रोते नहीं!”
और बस…
एक और आंसू आंखों में ही सूख जाता है।
🤐 मर्द रोते नहीं — ये समाज ने कब सिखा दिया?
बचपन से ही लड़कों को सिखाया जाता है:
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“लड़की मत बन, मत रो!”
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“तू कमजोर नहीं है, मर्द है!”
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“रोना तेरे जैसे लड़कों को शोभा नहीं देता”
मगर कभी पूछा किसी ने —
“क्या मर्दों को दर्द नहीं होता?”
“क्या मर्दों का टूटना गुनाह है?”
🎭 हर हंसते चेहरे के पीछे एक थका हुआ इंसान होता है
बहुत से लड़के ऐसे हैं जो बाहर से बहुत मजबूत दिखते हैं:
हंसते हैं, मजाक करते हैं, सबकी मदद करते हैं।
मगर अकेले कमरे में,
बत्ती बुझाकर,
तकिए में मुंह छुपाकर —
वो भी रोते हैं।
पर अफ़सोस…
कोई नहीं होता जो पूछे —
“क्या हुआ? ठीक हो?”
👨👦 बेटा, भाई, दोस्त, पति — हर रूप में बस जिम्मेदारी
एक लड़का जब बड़ा होता है, तो उसके हिस्से सिर्फ जिम्मेदारियां आती हैं।
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माँ-बाप की उम्मीदें
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बहनों की रक्षा
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दोस्त की हिम्मत
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बीवी-बच्चों का सहारा
लेकिन कोई नहीं पूछता —
“तेरा क्या हाल है?”
लड़का सबका सहारा बनता है,
मगर जब वो खुद लड़खड़ाता है —
तो वो अकेला छोड़ दिया जाता है।
🧠 Emotional Pain: जिसे मर्दों के लिए मान्यता नहीं मिली
मन का दर्द gender नहीं देखता।
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Heartbreak हो,
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Career failure हो,
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Family pressure,
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या खुद की identity खो देना —
हर दर्द इंसान को होता है।
मगर मर्द अगर बोले —
“मैं टूटा हूं…”
तो जवाब आता है —
“कमज़ोर मत बन, मर्द बन!”
क्या ये कहकर हम उन्हें और नहीं तोड़ रहे?
💔 जब मर्द प्यार में टूटते हैं…
एक लड़का जब सच्चे दिल से किसी से प्यार करता है और धोखा मिलता है,
तो वो सिर्फ रिश्ता नहीं खोता —
वो खुद को खो देता है।
मगर कोई नहीं पूछता —
“कैसा महसूस कर रहे हो?”
बल्कि कहते हैं —
“चल छोड़, और देख ले किसी और को!”
मगर उस टूटे हुए दिल में बस एक ही बात चलती रहती है —
“मैं क्या गलत था?”
🧍♂️ मर्द की चुप्पी = उसकी चीख
जब कोई लड़का शांत हो जाता है,
बातें करना छोड़ देता है,
या हंसते हुए भी उसकी आंखें बुझी सी लगें —
तो समझिए, वो अंदर से टूट चुका है।
पर क्या कोई रुककर उसे गले लगाता है?
नहीं…
क्योंकि उसे तो “Strong” बने रहना है।
💡 तो क्या करें?
1. मर्दों से भी सवाल कीजिए — “Are you okay?”
कभी-कभी ये चार शब्द,
किसी की टूटी हुई आत्मा को जोड़ सकते हैं।
2. उन्हें भी Express करने दीजिए
अगर कोई लड़का खुलकर रोना चाहता है,
तो उसे ये अधिकार दीजिए —
कि वो इंसान है, पत्थर नहीं।
3. Mental Health support normal बनाइए
काउंसलिंग सिर्फ औरतों के लिए नहीं है।
पुरुषों को भी खुद को समझने का हक है।
4. Society के उस ढांचे को तोड़िए जो कहता है – “Be a man”
“Be a human” — यही कहना चाहिए।
🌻 एक छोटी सी कहानी – रोने की आज़ादी
एक लड़का था — बेहद हँसमुख, सबका चहेता।
हर दोस्त की तकलीफ उसका दुख बन जाती थी।
मगर जब खुद की माँ ICU में थी —
वो अकेला अस्पताल के कॉरिडोर में बैठा,
आंसू रोक रहा था।
एक लड़की आई —
उसने सिर्फ इतना कहा:
“रो लो… मैं हूं पास में।”
वो टूटकर रोया — और उस दिन से फिर कभी टूटा नहीं।
कभी-कभी एक कंधा,
एक समझने वाली आवाज —
किसी इंसान को बचा सकती है।
🔚 अंत में…
मर्द रोते नहीं —
ये सिर्फ एक सोच है, हकीकत नहीं।
हर मर्द भी एक इंसान है,
जिसे टूटने का,
थकने का,
रोने का —
पूरा हक है।
❓ आपसे एक सवाल:
क्या आपके जीवन में कोई ऐसा लड़का/पुरुष है जो चुपचाप सहता रहा — बिना बोले?
क्या आपने कभी उसके दर्द को महसूस किया है?
कमेंट में ज़रूर लिखिए — शायद आपकी एक बात किसी टूटे इंसान को जोड़ दे।