“जब माँ-पापा अपनी लाड़ली बेटी को विदा करते हैं…”

जब माँ-पापा अपनी लाड़ली बेटी को किसी और घर भेजते हैं…

वो दिन जब घर में चारों तरफ हलचल होती है, सब खुश होते हैं, रिश्तेदारों की चहल-पहल होती है, पर एक कोना ऐसा भी होता है जहाँ दो दिल अंदर ही अंदर टूट रहे होते हैं — माँ और पापा के।

बेटी की शादी, हर माँ-बाप का सपना होता है… लेकिन उसी सपने को जीते वक्त उनकी आँखों में आँसू क्यों होते हैं?


💔 क्योंकि वो लाड़ली सिर्फ बेटी नहीं होती…

वो बेटी तो माँ की परछाई होती है…
पापा की मुस्कान होती है…
हर सुबह का उजाला, और हर रात की राहत होती है।

जब वो पहली बार उंगली पकड़कर चलती है, तब से लेकर आखिरी बार माँ का हाथ छोड़कर विदा होती है — वो सफर सिर्फ उसकी शादी का नहीं होता, माँ-बाप की ज़िंदगी का सबसे कठिन पल होता है।


🫶 हर छोटी चीज याद आती है…

  • वो रात जब बेटी चुपके से आकर माँ से लिपट जाती थी

  • वो सुबह जब पापा का अखबार लाकर देती थी

  • वो लड़ाइयाँ, वो जिद्द, वो हँसी… सब एक तस्वीर बनकर आँखों में बस जाती हैं

शादी के बाद वो तस्वीर हर दिन आँखों के सामने घूमती है, और दिल बस एक ही दुआ करता है — “जहाँ रहे, खुश रहे मेरी बच्ची…”


🌸 माँ-पापा की वो ख़ामोश विदाई…

शादी के दिन जब बेटी डोली में बैठती है, तो हँसते चेहरे के पीछे माँ-बाप की जान कांप रही होती है।
माँ का दिल करता है एक बार फिर से उसे गले लगाकर कहे, “मत जा अभी…”
पापा की आँखें तो शायद पहली बार भर आती हैं — क्योंकि वो जो हमेशा मजबूत रहते हैं, आज सबसे ज्यादा कमजोर होते हैं।


🌿 ये सिर्फ विदाई नहीं होती… ये पुनर्जन्म होता है

बेटी के लिए, नए रिश्ते, नया घर
माँ-बाप के लिए, एक खालीपन जो शायद ही कभी भरता है
पर फिर भी, वो मुस्कुराते हैं… क्योंकि यही तो प्यार है — बिना शर्त, बिना सीमा के।


अंत में एक पंक्ति:

“बेटियाँ पराई नहीं होतीं… वो बस अपने पंख फैलाकर उड़ती हैं, लेकिन माँ-बाप के दिल में हमेशा रहती हैं।”

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