मुझे अपने बारे में सबसे ज़्यादा क्या पसंद है?
कभी-कभी ज़िंदगी के शोरगुल में खुद से यह सवाल करना अच्छा लगता है —
“आख़िर मेरे अंदर ऐसी कौन-सी बात है, जो मुझे सबसे अलग बनाती है?”
सच कहूँ तो, दूसरों के लिए जीते-जीते, उन्हें समझते-समझते, मैंने खुद को बहुत पीछे छोड़ दिया था। लेकिन जब खुद के साथ बैठने का वक़्त मिला, तो महसूस हुआ — मैं अपने अंदर एक ऐसा जज़्बा लेकर चलती हूँ, जो किसी भी तूफ़ान में डगमगाता नहीं।
✨ मुझे अपने बारे में सबसे ज़्यादा यह पसंद है…
…कि मैं टूटी हूँ, फिर भी पूरी हूँ।
टूटकर भी बिखरी नहीं, बल्कि हर बार थोड़ा और निखर गई।
हर दर्द ने मुझे और मज़बूत बना दिया।
…कि मैं हर किसी के लिए उम्मीद बन सकती हूँ।
जब कोई अपना दर्द कहता है, तो मैं सिर्फ़ सुनती नहीं —
मैं उसे महसूस करती हूँ।
मेरी यही संवेदनशीलता, मुझे सबसे अलग बनाती है।
…कि मैंने अपने ज़ख्मों को अपनी पहचान बना लिया।
जो बातें मुझे गिरा सकती थीं, उन्हीं ने मुझे खड़ा रहना सिखा दिया।
मैंने कभी अपने आँसुओं को कमज़ोरी नहीं बनने दिया —
उन्हीं से अपनी ताकत बना ली।
🌱 मेरी सबसे बड़ी ताक़त क्या है?
मैं खुद को, हर हाल में — टूटकर भी — प्यार कर पाती हूँ।
और यही बात मुझे अपने बारे में सबसे ज़्यादा पसंद है।
💬 अब बारी है आपके दिल की आवाज़ की:
मुझे अपने बारे में सबसे ज़्यादा क्या पसंद है?
रुकिए, सोचिए… और दिल से जवाब दीजिए।
क्योंकि ये सवाल सिर्फ़ सवाल नहीं है —
ये खुद से जुड़ने का पहला क़दम है।
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