
“एक औरत की खामोशी भी चीख होती है”
“एक औरत की खामोशी भी चीख होती है” – दिल से निकला एक सच
हम अक्सर सोचते हैं कि कोई औरत अगर कुछ नहीं बोल रही है, तो शायद वो खुश है, संतुष्ट है या फिर उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। लेकिन सच ये है कि एक औरत की खामोशी भी एक चीख होती है, जो हर दिन धीरे-धीरे उसे अंदर से तोड़ती रहती है।
1. जब वो मुस्कराती है, पर अंदर रो रही होती है
वो ऑफिस में सबके साथ हँसती है, बच्चों को प्यार से सुलाती है, सबकी देखभाल करती है — पर क्या किसी ने पूछा कि वो खुद कैसी है? उसकी मुस्कान अक्सर एक मुखौटा होती है, जिसके पीछे वो थकी हुई, टूटी हुई, और अनकही भावनाओं से जूझ रही होती है।
2. जिम्मेदारियों के नीचे दबी आवाज़
हर लड़की जब औरत बनती है, तो वो अपने सपनों को घर के एक कोने में रख देती है। उसका दिन दूसरों के लिए होता है — पति, बच्चे, सास-ससुर, समाज… पर खुद के लिए उसका समय कब आता है? जब वो चुप होती है, तो वो अपने सपनों की मौत देख रही होती है।
3. जब उसके आंसू भी ‘ड्रामा’ कहलाते हैं
कई बार जब औरत अपने दर्द को शब्दों में कहने की कोशिश करती है, तो उसे “बहुत ज़्यादा सोचने वाली”, “over emotional” या “drama queen” कह दिया जाता है। ऐसे में वो खुद को express करना ही छोड़ देती है, और उसकी खामोशी एक धीमी चीख बन जाती है, जो सिर्फ दिल को सुनाई देती है।
4. “मैं ठीक हूँ” – एक झूठ, जो हर औरत बोलती है
जब वो कहती है, “मैं ठीक हूँ”, तो समझिए कि वो सबसे ज़्यादा टूटी हुई होती है। वो नहीं चाहती कि कोई उसके दर्द को बोझ समझे, इसलिए वो अपने आंसू तक छुपा लेती है। लेकिन क्या ये सही है?
5. अकेलेपन की आदत डाल लेना भी एक मजबूरी है
हर रिश्ते में कभी न कभी ऐसा वक्त आता है जब औरत महसूस करती है कि वो अकेली है, चाहे वो कितने भी लोगों के बीच क्यों न हो। वो अपनी बातें कहने के लिए किसी को ढूंढती है, पर उसकी भावनाएं या तो टाली जाती हैं या मज़ाक बन जाती हैं।
6. वो सिर्फ बेटी, बहन, पत्नी या माँ नहीं – एक इंसान है
अक्सर औरतों को उनके रिश्तों से परिभाषित किया जाता है — “अच्छी बहू है”, “ज़िम्मेदार माँ है”, “समझदार पत्नी है” — पर क्या किसी ने उसे सिर्फ एक इंसान की तरह देखा है, जो अपनी पहचान खुद बनाना चाहती है? उसकी खामोशी में एक इंसान की पुकार है।
तो क्या करें हम? – संवेदनशीलता ही समाधान है
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सुनिए – सच में सुनिए: जब कोई औरत कुछ कहने लगे, तो उसे बीच में न टोकें। उसकी हर बात को महसूस करें।
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उसके कामों को मान्यता दें: “तुम क्या करती हो सारा दिन?” जैसी बातें उसके आत्मविश्वास को तोड़ देती हैं।
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वो जब चुप हो, तो उसका दर्द पहचानिए: उसकी खामोशी को सिर्फ सुकून मत समझिए, वो शायद आपको कुछ कहना चाहती है, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रही।
निष्कर्ष (Conclusion):
एक औरत की खामोशी भी चीख होती है — बस वो चीख़ सुनाई नहीं देती। अगर हम सच में समझना चाहें, तो हर चुप्पी में एक कहानी होती है, हर मुस्कान के पीछे एक आँसू, और हर ‘मैं ठीक हूँ’ के पीछे एक तूफ़ान।
👉 अगली बार जब कोई औरत चुप हो, तो ज़रा उसके पास बैठिए — बिना कुछ कहे, बस उसके साथ रहिए। शायद वही उसकी सबसे बड़ी ज़रूरत हो।