
एक औरत का खुद के लिए खड़ा होना भी ज़रूरी है
🌸 एक औरत का खुद के लिए खड़ा होना भी ज़रूरी है
हमारी समाजिक परंपराएं हमेशा से कहती आई हैं — “औरत तो सहनशील होती है”, “समझौता करना औरत की ताक़त है”, “घर-परिवार पहले, खुद बाद में।”
लेकिन क्या हर बार चुप रहना, सहते जाना, अपने सपनों को दबा देना ही औरत की महानता है?
नहीं! कभी-कभी औरत का खुद के लिए खड़ा होना भी उतना ही ज़रूरी होता है जितना दूसरों के लिए समर्पित रहना।
💔 जब एक औरत थक जाती है — एक सच्ची कहानी
प्रियंका, बिहार के एक छोटे से कस्बे की पढ़ी-लिखी, संस्कारी लड़की थी। शादी के बाद उसने अपने सारे सपने छोड़ दिए — अपनी नौकरी, अपना लेखन, और यहां तक कि अपनी पहचान भी।
हर सुबह बच्चों, किचन और परिवार के बीच बीतती। पति का ध्यान नहीं, ससुराल वालों की तानें और हर किसी की उम्मीदें।
कई सालों तक वो सोचती रही — “यही तो औरत की ज़िंदगी होती है…”
लेकिन अंदर कुछ टूटता जा रहा था। वह हँसती थी पर हँसी में सच्चाई नहीं थी, हर रात अकेले रो लेती थी ताकि कोई देख न सके।
एक दिन जब उसकी बेटी ने पूछा —
“मम्मी, आप कभी खुश क्यों नहीं होती?”
उस सवाल ने प्रियंका को अंदर से झकझोर दिया। उसे एहसास हुआ कि वो जिस ज़िंदगी को अपनी किस्मत मान रही थी, वो सिर्फ एक समझौता बन चुकी थी।
और उसी दिन उसने तय किया — अब वो खुद के लिए जिएगी।
उसने अपने पुराने passion — लेखन — को फिर से जिंदा किया। ब्लॉगिंग शुरू की, ऑनलाइन जॉब ली और धीरे-धीरे खुद की पहचान बनाई। परिवार ने विरोध किया, लेकिन वो डटी रही।
आज प्रियंका न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी मजबूत।
🌷 क्यों ज़रूरी है एक औरत का खुद के लिए खड़ा होना?
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खुद से प्यार नहीं करोगी तो कौन करेगा?
अगर आप खुद को अनदेखा करेंगी, तो दुनिया भी वैसा ही करेगी। -
आपका जीवन सिर्फ त्याग के लिए नहीं है।
आपको हक़ है अपनी खुशी, अपने सपने, और अपने आत्म-सम्मान के लिए जीने का। -
बेटियाँ देखकर सीखती हैं।
जब आप खुद के लिए खड़ी होंगी, आपकी बेटी सीखेगी कि वो भी हक़ रखती है अपने फैसलों पर। -
सपने उम्र नहीं देखते।
30 की हो, 40 की या 60 की — अगर आज आपने शुरुआत की, तो आप जीत सकती हैं।
💪 कैसे शुरू करें खुद के लिए खड़ा होना?
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‘ना’ कहना सीखिए: जो बातें आपकी आत्मा को चोट पहुंचाती हैं, उनके लिए ‘ना’ कहें।
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खुद से बातें कीजिए: क्या आप वाकई खुश हैं? क्या यही जिंदगी चाहती थीं?
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अपने टैलेंट को पहचानिए: हर औरत के पास कोई न कोई खूबी होती है — उसे बाहर लाइए।
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Support System बनाईये: दोस्त, ऑनलाइन कम्युनिटी, या खुद से जुड़ी महिलाओं को खोजिए।
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छोटे-छोटे कदम उठाइए: एक नई भाषा सीखें, पार्ट टाइम काम शुरू करें, या ब्लॉगिंग करें।
🌺 याद रखिए — खुद के लिए खड़ा होना स्वार्थ नहीं, आत्मसम्मान है।
जो औरत हर किसी के लिए लड़ सकती है, क्या वो खुद के लिए एक बार भी खड़ी नहीं हो सकती?
आप एक माँ हो सकती हैं, बहू हो सकती हैं, पत्नी हो सकती हैं — लेकिन सबसे पहले, आप एक इंसान हैं। और आपको भी हक है — मुस्कुराने का, उड़ने का, और अपनी पहचान बनाने का।
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