
“रिश्ते निभाते-निभाते, मैं खुद को भूल गई” — जब औरत खुद के लिए जीना भूल जाती है।
🔸 भूमिका: “रिश्ते निभाते-निभाते, मैं खुद को भूल गई” — ये एक वाक्य नहीं, बल्कि…
“एक औरत की खामोशी भी चीख होती है”
"एक औरत की खामोशी भी चीख होती है" – दिल से निकला एक सच हम…
“जब अपने ही हमें नहीं समझते: भावनाओं की अनसुनी पुकार”
जब अपने ही हमें नहीं समझते… सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती है जब हमें समझने…
मेरे लिए “रोमांस” की परिभाषा…
मेरे लिए "रोमांस" की परिभाषा... लोग कहते हैं कि प्यार में सिर्फ अच्छे पल होते…