“मां बन जाना सबकुछ नहीं होता, औरत भी एक इंसान होती है” | एक मां की अनकही कहानी

🌼 एक महिला की journey मां बनने के बाद कैसे बदलती है

मां बनना हर औरत के जीवन का एक बड़ा मोड़ होता है।
यह प्यार, त्याग और समर्पण की परिभाषा बन जाता है।
लेकिन इस खूबसूरत सफर के पीछे एक अनदेखा सच भी होता है —
एक औरत का धीरे-धीरे खुद से दूर हो जाना।

कभी जो अपनी identity, अपने सपनों और अपने choices के लिए जानी जाती थी,
वो अब सिर्फ एक नाम बन जाती है — “मां”।


🕊️ उसका खुद का अस्तित्व कैसे खोता है

पहले अपनी morning routine होती थी — अब नींद भी बच्चे के schedule पर निर्भर है।
पहले अपने लिए decision लेती थी — अब हर कदम पर किसी और की जरूरतें पहले आती हैं।

धीरे-धीरे वो भूलने लगती है कि वो भी एक इंसान है,
जिसे प्यार चाहिए, space चाहिए, अपने लिए कुछ वक्त चाहिए।


🌸 Self-care क्यों ज़रूरी है

कई बार औरतें guilt में जीने लगती हैं —
“अगर मैंने खुद के लिए कुछ किया तो लोग क्या कहेंगे?”
“मां होकर selfish कैसे बन सकती हूं?”

लेकिन सच्चाई ये है कि खुद से भरी मां ही सबसे अच्छा प्यार दे सकती है।
Self-care कोई luxury नहीं, survival की जरूरत है।

थोड़ा अपने लिए वक्त निकालना, अपनी identity बचाना,
अपने दिल की आवाज़ सुनना — ये भी motherhood का हिस्सा होना चाहिए।


😔 Emotional overload, guilt और societal expectations

हर कोई सलाह देता है — “बच्चे को ये दो, वो मत करो, ऐसा करो…”
लेकिन कोई नहीं पूछता — “तुम कैसी हो? थकी हो? रोई हो रात में?”

Society ने औरत को त्याग की मूर्ति बना दिया,
लेकिन इंसानियत को कहीं खो दिया।

एक मां हंसते हुए भी अंदर से टूट सकती है।
और जब वो थककर कुछ वक्त चाहती है —
तो उसे judge किया जाता है, समझा नहीं जाता।


✨ “मां बन जाना जिंदगी का हिस्सा है,
पर खुद को खो देना जिंदगी का अंत है।”

– हर औरत की अनकही दास्तां


अंत में आपसे सवाल:

क्या आपको भी कभी लगा कि आपने सबके लिए खुद को खो दिया?
👇 Comment करें, आप अकेली नहीं हैं — आपकी बात किसी और के जख्म को मरहम दे सकती है