
“जब भरोसा तकलीफ देता है: एक सच्चा अनुभव और ज़िंदगी से सीखा सबक”
“कभी किसी को अपनी कमजोरी मत बताओ,
क्योंकि लोग ज़रूरत से ज़्यादा चालाक हो गए हैं —
अब दर्द नहीं समझते, बस इस्तेमाल करते हैं…”
एक वक़्त था जब मैं लोगों पर जल्दी भरोसा कर लेती थी।
मुझे लगता था कि अगर मैं अपने दर्द, डर और कमज़ोरियों के बारे में खुलकर बता दूँ,
तो लोग मुझे समझेंगे, मेरा साथ देंगे।
लेकिन ज़िंदगी ने कुछ और ही सिखाया।
सच ये है:
जो लोग हमें सबसे ज़्यादा चोट पहुँचाते हैं,
वो वही होते हैं जिन पर हमने सबसे ज़्यादा भरोसा किया होता है।
जो हमें अच्छी तरह जानते हैं —
वो जानते हैं कि कहाँ चोट करनी है, कैसे हमारी भावनाओं को हथियार बनाना है।
मैं धोखा खा चुकी हूँ।
दोस्तों से, रिश्तेदारों से, अपने कहे जाने वालों से।
और सिर्फ़ एक बार नहीं… कई बार।
फिर खुद से सवाल किया:
आख़िर मैं ही क्यों इतनी जल्दी किसी पर भरोसा कर लेती हूँ?
क्यों मैं अपनी कमजोरी बता देती हूँ, ये सोचकर कि वो मेरी ताकत बनेंगे?
अब समझ आया —
🔹 हर कोई आपके सच की क़द्र नहीं करता।
🔹 कुछ लोग सिर्फ़ सुनते हैं, ताकि बाद में उसी को आपके खिलाफ़ इस्तेमाल कर सकें।
🔹 आपकी कमजोरी, आपकी कमजोरी है — और इस दुनिया में हर कोई उसे संभाल नहीं सकता।
🙏 जो मैंने सीखा:
अगर आपको अपना दर्द बाँटना है —
तो एक कागज़ पर लिखिए।
या फिर उसे सिर्फ़ अपने भगवान को बताइए।
क्योंकि वही एक हैं जो आपकी कमजोरी का कभी फायदा नहीं उठाएंगे।
मैं परफेक्ट नहीं हूँ।
मैंने खुद को मूर्ख भी कहा है कभी।
पर अब समझ गई हूँ —
मैं सच्ची हूँ, भावुक हूँ और सीख रही हूँ।
💡 अंत में एक बात:
“सच्चे बने रहो,
पर समझदारी से भरोसा करो।”
– Jyoti Santosh Jogi
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