सुरक्षा और सुरक्षा टिप्स

160 से शुरू होने वाले नंबर से कॉल: किस बैंक का है, असली और फेक कॉल में अंतर कैसे करें? जानें सरकार का नया नियम

grayscale photo of empty road between buildings

वर्तमान में, फोन कॉल्स की विश्वसनीयता के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच, यह महत्वपूर्ण है कि आप 160 से शुरू होने वाले नंबरों को पहचानना सीखें। आमतौर पर, ये नंबर बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। इन नंबरों का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को सुरक्षा और सेवा संबंधी जानकारी प्रदान करना है।

160 से शुरू होने वाले नंबर अक्सर ग्राहकों को बैंकिंग लेन-देन या अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में सूचित करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इन नंबरों के पीछे मुख्यत: प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान होते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), ICICI बैंक, एचडीएफसी बैंक, और एक्सिस बैंक जैसे बड़े बैंक 160 से शुरू होने वाले नंबरों का उपयोग करते हैं।

आईवीआर (Interactive Voice Response) सेवा प्रदान करने के लिए ये नंबर इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनसे ग्राहकों को उनकी खाता जानकारी, लेन-देन अलर्ट, क्रेडिट कार्ड सेवाओं आदि के बारे में सूचित किया जाता है। यह प्रणाली त्वरित और सुरक्षित सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

हालांकि, 160 से शुरू होने वाले नंबरों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है। इसके लिए प्रमाणित बैंकिंग संस्थानों की सूची की जाँच करें और अनधिकृत कॉल्स से सावधान रहें। जब भी आपको 160 से शुरू होने वाले किसी भी नंबर से कॉल प्राप्त हो, तो पहले उस बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर क्रॉस-चेक करें। इसके अलावा, बैंक कभी भी कॉल पर आपकी व्यक्तिगत जानकारी या पासवर्ड नहीं माँगते, इस बात का ध्यान रखें।

अ-अधिकृत या संदिग्ध कॉल्स से बचने के लिए, जिन नंबरों से कॉल आ रहे हैं उनकी सत्यता की हमेशा पुष्टि करें। असली और नकली कॉल्स की पहचान करने के लिए सतर्कता आवश्यक है। सुरक्षा के मद्देनजर, भारतीय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी ग्राहकों को सुरक्षित रखने के लिए नए गाइडलाइन्स जारी किए हैं। इन गाइडलाइन्स का पालन करके आप असली और नकली कॉल्स के बीच आसानी से फर्क कर सकते हैं।

फेक कॉल और असली कॉल में अंतर

असली और फेक कॉल्स के बीच अंतर करना आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण होता जा रहा है। असली कॉल्स आमतौर पर आपकी व्यक्तिगत जानकारी की पुष्टि करने के लिए किये जाते हैं और वे हमेशा आपकी अनुमति के साथ कार्य करते हैं, जबकि फेक कॉल्स का उद्देश्य आपके संवेदनशील डेटा को चुराना होता है।

असली कॉल्स में सबसे पहले कॉलर स्पष्ट रूप से अपना नाम, बैंक का नाम और क्यों कॉल कर रहे हैं यह जानकारी देते हैं। वे आपके खाते से संबंधित जानकारी की पुष्टि के लिए विशिष्ट प्रश्न पूछते हैं, जैसे कि जन्मतिथि या पिन कोड, लेकिन बैंक कभी भी पूरा खाता नंबर, ओटीपी या पिन साझा करने के लिए नहीं कहते हैं। वहीं दूसरी ओर, फेक कॉल्स में कॉलर जल्दी-जल्दी बात करते हैं और आपको डराने या दबाव में डालने की कोशिश करते हैं। वे आपकी व्यक्तिगत बैंकिंग जानकारी सीधे मांगते हैं और जल्दी से जल्दी जानकारी उठाने की कोशिश करते हैं।

कॉल की आवाज और उसकी प्रक्रिया पर ध्यान देने से भी असली और फेक कॉल्स के बीच अंतर पहचाना जा सकता है। असली कॉल्स में कॉलर पेशेवर तरीके से बात करते हैं और हमेशा आपको संतोषजनक जवाब देते हैं। वहीं फेक कॉल्स में कॉलर अक्सर धीमा या तनावपूर्ण तरीके से बोलते हैं और समस्या से संबंधित कोई जानकारी नहीं दे पाते।

सुरक्षा टिप्स के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किसी भी बैंक से कॉल आने पर कभी भी अपने संवेदनशील बैंकिंग डिटेल्स को शेयर नहीं करें। अगर आपको किसी कॉल पर शक होता है तो तुरंत ही कॉल काट दें और आधिकारिक बैंक के हेल्पलाइन पर उसकी पुष्टि करें। इसके अलावा, अगर आपको किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिलती है तो तुरंत संबंधित बैंक को सूचित करें।

सरकार के नए नियम और दिशा-निर्देश

केंद्र सरकार ने फेक कॉल्स से उपभोक्ताओं को सुरक्षित रखने के लिए कई नए नियम और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उन कॉल्स से बचाना है जो 160 से शुरू होते हैं और बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं की ओर से होने का दावा करते हैं। ये नए दिशा-निर्देश न केवल उपभोक्ताओं को अधिक जागरूक बनाएंगे बल्कि फर्जी कॉल्स की पहचान में भी मदद करेंगे।

पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है कॉलर आईडी सिस्टम को सख्ती से लागू करना। सरकार ने सभी टेलीफोन ऑपरेटरों को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी नंबर से कॉल करने से पहले उसके प्रमाणिकता की पुष्टि करें। इसके तहत, सभी सत्यापित नंबरों को एक विशेष डेटाबेस में शामिल किया जाएगा जिससे कि फेक कॉलर्स की संख्या में कमी आए।

दूसरा महत्वपूर्ण निर्देश है उपभोक्ताओं को जागरूक करना। सरकार ने विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ताओं में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है। इसमें महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि उपभोक्ता किसी भी भ्रमित करने वाली कॉल से तुरंत सावधान हो जाएं और उस नंबर की सत्यापित करने की कोशिश करें। इसके लिए विभिन्न मोबाइल ऐप्स और टेलीफोन सेवाओं को भी अपडेट किया जा रहा है, जो उपभोक्ताओं को तुरंत अलर्ट भेज सकेंगी।

इसके अलावा, यदि उपभोक्ता को किसी कॉल के बारे में संदेह होता है तो वे तुरंत नजदीकी साइबर क्राइम सेल में इसकी शिकायत कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी फेक कॉल की रिपोर्ट तुरंत की जाए, सरकार ने एक विशेष हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है।

इन नए नियमों और दिशा-निर्देशों का अनुसरण करके उपभोक्ता न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं बल्कि फर्जी कॉल्स के फैलाव को भी रोक सकते हैं। सरकार का यह कदम सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

फेक कॉल्स को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया

वर्तमान समय में फेक कॉल्स का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और उपभोक्ताओं को जागरूक रहकर ऐसे मामलों से निपटने की आवश्यकता है। यदि आपको किसी अज्ञात नंबर से कॉल आती है और उस पर आपको संदेह होता है कि यह एक फेक कॉल हो सकती है, तो इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को देना आवश्यक है। फेक कॉल्स को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया आसान और प्रभावकारी होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

पहला कदम यह है कि आप कॉलर के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त करें, जैसे कि कॉलर का नाम, कॉल करने का कारण और वे किस बैंक या संस्था का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यदि उनसे मांगी गई जानकारियां संदिग्ध या अस्पष्ट लगती हैं, तो यह सबसे अच्छा तरीका है कि आप तुरंत कॉल समाप्त करें। संबंधित नंबर को अपने कॉल लॉग में नोट कर लें और कॉल के समय के बारे में भी ध्यान रखें।

फेक कॉल्स की शिकायत करने के लिए एक प्रभावी तरीका यह है कि आप तत्काल अपने टेलीकॉम सेवा प्रदाता को सूचित करें। लगभग सभी मुख्य टेलीकॉम कंपनियाँ अपने उपभोक्ताओं को ऐसी सेवाएं प्रदान करती हैं जिससे वे फेक कॉल्स की रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अब कई राज्यों और केंद्र सरकारों ने साइबर क्राइम से संबंधित हेल्पलाइन भी शुरू की हैं जिन पर आप कॉल करके फेक कॉल्स की रिपोर्ट कर सकते हैं।

कई बैंक भी अपने उपभोक्ताओं को फेक कॉल्स की शिकायत दर्ज करने का साधन प्रदान करती हैं। अक्सर बैंक अपनी वेबसाइट या मोबाइल ऐप्स पर एक विशेष सेक्शन तैयार रखते हैं जहां से आप ऐसी फेक कॉल्स की रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकार ने भी उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाए हैं और फेक कॉल्स से सावधान रहने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे इन नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करें ताकि फेक कॉल्स के प्रकोप से बचा जा सके।