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जीवन में समस्याओं का कारण: हमारी अपेक्षाएँ

जीवन में समस्याओं का कारण: हमारी अपेक्षाएँ

हमारी ज़िन्दगी में कई चीजें हमारी इच्छाओं के अनुसार होती हैं और कई चीजें नहीं। जब चीजें हमारी मन मुताबिक होती हैं, तो हम खुश होते हैं, गर्व महसूस करते हैं। लेकिन जब चीजें हमारी इच्छाओं के विपरीत होती हैं, तो हम उदास हो जाते हैं, तनावग्रस्त रहते हैं, और मूड खराब कर लेते हैं।

हम यह नहीं सोचते कि जो चीजें हो रही हैं, उनमें से कई पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। हमें उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो हमारे हाथ में हैं। जो चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं, वे भविष्य में हैं और हमें दिखाई नहीं देतीं। फिर भी हम मान लेते हैं कि अगर हमारी मनचाही चीजें नहीं हुईं, तो हमारी जिंदगी बेकार हो जाएगी। हम भविष्य के बारे में कुछ नहीं जानते, फिर भी हम दुखी रहते हैं।

हमारी एक कहावत है, “अगर हमारी मर्ज़ी का हो, तो अच्छा; और न हो, तो और भी अच्छा, क्योंकि फिर चीजें भगवान की मर्ज़ी से होती हैं।” कुछ लोग भगवान को नहीं मानते। उनके लिए, यहाँ हर चीज समय से होती है। मौसम का परिवर्तन – गर्मी, सर्दी, बारिश, बसंत ऋतु – सब सही समय पर होते हैं। गर्मियों में गर्मी लगती है, सर्दियों में ठंड और बारिश के मौसम में बारिश होती है। यह सब कौन संभाल रहा है? दिन और रात हर दिन समय से होते हैं। कोई तो शक्ति है, जो यह सब चला रही है।

हमारे पास एक और समाधान है – श्रीमद्भगवद गीता। अगर आप उलझन में हैं, तो इसे पढ़ें। इसमें आपके सभी समस्याओं का सार है। इस दुनिया की जितनी भी समस्याएं हैं, उनका समाधान गीता में है।

“योग: कर्मसु कौशलम्” – (भगवद गीता 2.50)

“योग का अर्थ है कार्यों में कुशलता।”

गीता हमें सिखाती है कि हमें अपनी मर्ज़ी से हो रही और न हो रही दोनों चीजों को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए। एक बार स्वीकार करके तो देखो, आपको आगे का रास्ता खुद ब खुद दिखने लगेगा। गीता में यह भी कहा गया है कि जब आपको लगे कि आपके सारे रास्ते बंद हो गए हैं, तो दुनिया चलाने वाली शक्ति को प्रणाम करें और अपने रास्तों को खोजें।

“जब एक दरवाजा बंद होता है, तो हजारों रास्ते खुल जाते हैं।”

तो उन रास्तों को ढूंढें। जीवन को एक नई दृष्टि से देखें। जो चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं, उन्हें छोड़ दें और जो हमारे हाथ में हैं, उन पर ध्यान दें।

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – (भगवद गीता 2.47)

“तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में कभी नहीं।”

अपने कार्यों पर ध्यान दें, परिणाम की चिंता न करें। यह विचार ही आपके जीवन को सुकून और संतोष से भर देगा।

अपने जीवन को स्वीकार करें, उसे जी भर कर जियें, और खुद पर और उस शक्ति पर विश्वास रखें, जो इस पूरी सृष्टि को चला रही है।

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