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कभी-कभी सबसे ज़्यादा अपने ही तोड़ते हैं…

मेरे लिए “रोमांस” की परिभाषा…

“टॉक्सिक रिश्ते को छोड़ना भी एक प्यार होता है — अपने आपसे” | खुद से प्यार की शुरुआत

क्या आपने कभी महसूस किया है कि जिन लोगों पर सबसे ज़्यादा भरोसा था, उन्होंने ही आपको सबसे गहरा ज़ख्म दिया?
जिनके सामने रोकर दिल हल्का होता था, उन्हीं की बातों ने आज दिल भारी कर दिया…

दुनिया में बहुत सी चीज़ें हमें तकलीफ़ देती हैं, लेकिन जब तकलीफ़ अपनों से मिले, तो वो किसी तीर से भी ज्यादा चुभती है। ये दर्द बाहर का नहीं, अंदर का होता है — बहुत गहरा, बहुत साइलेंट।


💔 अपनों की चोट क्यों ज़्यादा चुभती है?

  • क्योंकि हमने उन पर विश्वास किया होता है।

  • क्योंकि उनसे उम्मीद होती है कि वो हमारी भावनाओं को समझेंगे।

  • क्योंकि उनसे जुड़ी हर बात दिल से होती है, दिमाग से नहीं।

जब एक अजनबी कुछ कहता है, तो शायद एक दिन में भूल जाओ।
लेकिन जब माँ, पिता, भाई, बहन, पति या दोस्त वही बात कहें, तो वो याद रह जाती है… और अंदर तक हिला देती है।


🧪 असली इम्तिहान रिश्तों का

रिश्ते वही नहीं होते जो सिर्फ हँसी में साथ दें,
रिश्ते वो होते हैं जो आपके आँसुओं को पढ़ सकें, बिना कुछ कहे।

लेकिन जब वही अपने
आपकी बातों को “ओवरथिंकिंग” कहते हैं,
आपकी तकलीफ़ को “ड्रामा” समझते हैं,
आपकी उम्मीदों को “स्वार्थ” का नाम देते हैं —
तो क्या वो सच में अपने होते हैं?


🎭 अपने ही क्यों बदल जाते हैं?

  1. कभी हालात बदल देते हैं लोगों को।

  2. कभी अहम, कभी ईगो, कभी थकावट… और कभी आदत।

  3. कभी वो सोचते हैं कि आप तो “हमेशा समझ ही जाओगे”, और इसी में गलती कर बैठते हैं।

उनकी बेरुखी धीरे-धीरे आपके अंदर गहराई तक बस जाती है।


😶 चुप रह जाना… एक मजबूरी

कभी-कभी हम इतना टूट जाते हैं कि बोलने की हिम्मत भी नहीं होती।
दिल अंदर ही अंदर रोता है, लेकिन बाहर से हम हँसते रहते हैं।
क्योंकि हमें पता होता है — अब कुछ कहने से भी फर्क नहीं पड़ेगा।

आपने भी शायद कभी ऐसा महसूस किया होगा —
जब बहुत कुछ कहना था, लेकिन शब्द नहीं मिले।


🌱 क्या करें जब अपने ही तोड़ दें?

  1. रो लेने दें खुद को:
    आँसू कमजोरी नहीं हैं, ये आपकी भावनाओं की सच्चाई हैं।

  2. दिल में मत रखिए, लिख डालिए:
    जो आप नहीं कह पा रहे, उसे कागज़ पर उतारिए। लिखना एक थेरेपी है।

  3. सीमा बनाइए (Boundaries):
    प्यार में भी “लिमिट” जरूरी है। खुद को खोकर किसी को पाना ठीक नहीं।

  4. खुद की वैल्यू समझिए:
    आप किसी के व्यवहार की वजह से खुद को छोटा मत समझिए।

  5. माफ ज़रूर कीजिए, लेकिन भूलना ज़रूरी नहीं।
    खुद की शांति के लिए माफ करिए, लेकिन सबक लेकर आगे बढ़िए।


✨ ये भी याद रखिए:

जो आपको तोड़ते हैं, वो हमेशा खुद भी अधूरे होते हैं।
उनका दर्द अक्सर उनके व्यवहार में झलकता है।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप हर बार उनके बुरे बर्ताव को सहें।

आपका दिल भी उतना ही कीमती है जितना उनका।


🧘‍♀️ खुद से जुड़ना सीखिए

  • रोज़ थोड़ी देर सिर्फ अपने साथ बैठिए — बिना फोन, बिना बातें, सिर्फ खुद से।

  • मन में जो उलझनें हैं, उन्हें समझिए।

  • खुद से ये पूछिए:
    “क्या मैं वो इंसान बन गई हूँ जो मैं कभी थी? या मैंने अपनों के व्यवहार में खुद को खो दिया?”


🌈 अपनों से भी ऊपर: खुद का साथ

एक वक्त आता है जब आपको समझ आता है —
हर रिश्ता ज़रूरी नहीं कि हमेशा वैसा ही रहे जैसा शुरुआत में था।

कुछ रिश्ते सिखाने के लिए आते हैं।
कुछ तोड़ने के लिए।
कुछ आपको खुद से मिलवाने के लिए।

और सबसे खास रिश्ता — आपका खुद से
अगर वो मजबूत है, तो कोई आपको पूरी तरह नहीं तोड़ सकता।


🙏 अंत में एक एहसास:

जो अपने थे, अब शायद अजनबी से भी बुरे लगते हैं।
पर जानिए — आप अभी भी उसी दिल के मालिक हैं जिसने सच्चा प्यार किया था,
और उस दिल को फिर से खुद के लिए धड़काना अब ज़रूरी है।


❓ आपसे एक सवाल

क्या आपने कभी किसी “अपने” से ऐसी चोट खाई है जिसे भूलना आज भी मुश्किल है?
👇
कमेंट में लिखिए — आपकी सच्चाई किसी और के दर्द को कम कर सकती है।

जब कोई अपना होकर भी अपना नहीं लगता…

“कभी-कभी हम मुस्कुराते हैं… सिर्फ ये दिखाने के लिए कि हम टूटे नहीं हैं”