“रिश्ते टूटते नहीं, बस ख़ामोशी ज़्यादा हो जाती है…”
कभी-कभी रिश्ता टूटता नहीं है,
बस बातें करना कम हो जाता है…
मन की बातें दिल में ही रह जाती हैं,
और सामने वाला समझ नहीं पाता।
शिकायतें होती हैं, पर आवाज़ नहीं होती।
दूरी बढ़ती है, पर वजह समझ नहीं आती।
कभी सिर्फ एक कॉल या एक “तुम ठीक हो?”
सुनना काफी होता है,
पर जब वो भी ना मिले — तो दिल थक जाता है।
रिश्ते में प्यार की ज़रूरत होती है,
पर उससे ज़्यादा ज़रूरत होती है समझने और सुनने वाले की।
💡 “रिश्ते निभाना मुश्किल नहीं होता, बस आजकल लोगों के पास वक़्त और सच्ची परवाह की कमी होती है…”
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