
कभी-कभी ज़िंदगी बाहर से एकदम सही दिखती है —
घर ठीक, काम अच्छा, रिश्ते भी संभले हुए।
लेकिन अंदर एक अजीब सी ख़ामोशी होती है…
जैसे कुछ टूट सा गया हो, पर कोई आवाज़ नहीं।
ये पोस्ट उन लोगों के लिए है जो अंदर ही अंदर लड़ रहे हैं,
जो दुनिया के सामने मजबूत बनते हैं,
लेकिन अकेले में खुद को समेटते हैं।
आप अकेले नहीं हो।
आपका दर्द सच्चा है।
और ये बिल्कुल ठीक है कि आप अभी ठीक नहीं हैं।
🧡 थोड़ी देर के लिए रुक जाइए,
गहरी सांस लीजिए,
और खुद से कहिए — “तू भी ज़रूरी है।”
अगर आज आपने खुद को संभाल लिया,
थोड़ा मुस्कुरा लिया,
या बस एक दिन और जी लिया —
तो यकीन मानिए, आप जीत चुके हैं।
अगर आपने भी कभी ऐसा महसूस किया है, तो इस पोस्ट को शेयर कीजिए…
शायद किसी का टूटता दिल इससे जुड़ जाए।
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