“जब रिश्ते बोलते नहीं… तब ख़ामोशी चिल्लाने लगती है”
कभी-कभी हम इतने करीब होते हैं, फिर भी बहुत दूर महसूस करते हैं।
साथ रहते हुए भी दिल अकेला सा क्यों लगने लगता है?
शब्द कम पड़ जाते हैं, और ख़ामोशी सब कुछ कह जाती है।
रिश्ते हमेशा झगड़ों से नहीं टूटते…
कई बार वो धीरे-धीरे उस चुप्पी में दम तोड़ देते हैं,
जहाँ कोई कुछ कहता नहीं — और कोई समझता भी नहीं।
अगर रिश्ता बचाना है, तो बात कीजिए…
दिल खोलिए…
क्योंकि कई बार ‘मैं ठीक हूं’ के पीछे बहुत कुछ टूट रहा होता है।
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