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जब बेटी पराई हो जाती है – एक माँ की चुप विदाई

💔 जब बेटी पराई हो जाती है – एक माँ की चुप विदाई

🧡 भूमिका:

बेटी जब जन्म लेती है, तब पूरे घर में रौनक होती है। माँ-पापा की गोद, भाई की शरारतें, और दादी-नानी के दुलार में पली-बढ़ी वो लड़की, एक दिन पराई कहलाती है। जब उसकी विदाई होती है, तब हर मुस्कान के पीछे एक आंसू छुपा होता है।


👩‍👧‍👦 1. डोली में बैठती मेरी गुड़िया…

एक माँ के लिए सबसे भावुक क्षण वो होता है, जब उसकी बेटी की विदाई होती है। जिस बेटी की हर सुबह माँ की आवाज़ से होती थी, अब वो किसी और घर में जाकर नए रिश्तों को निभाने निकली है। वो हंसी जो घर को रौशन करती थी, अब किसी और आंगन की रौशनी बन रही है।


😢 2. पापा की आँखें पहली बार भीगी…

जो पापा हमेशा मजबूत दीवार बन कर खड़े रहते थे, जिनके सामने कोई आँसू नहीं टिकता था, आज उनकी आँखें चुपचाप भीग गईं। बेटी को जाते देख वो पल आँखों में एक फिल्म की तरह चलता है, पर उसमें कोई रीटेक नहीं होता।


🌸 3. बेटी की जिंदग़ी एक नया अध्याय शुरू करती है…

विदाई के बाद बेटी की ज़िंदगी में नए लोग, नई जिम्मेदारियाँ और नए रिश्ते आते हैं। पर दिल के किसी कोने में माँ-पापा की तस्वीर हमेशा रहती है। वो दिल से याद करती है वो बातें, वो डांट, वो गले लगाना… और कई बार चुपचाप रो लेती है।


🏡 4. ससुराल उसका घर बन जाता है, पर मायका उसकी जान रहता है…

हर लड़की दो घरों में बंटी होती है – एक मायका और दूसरा ससुराल। भले ही वो ससुराल में घर बसा ले, पर जब भी मायके की बात होती है, उसके चेहरे पर वो मासूम मुस्कान लौट आती है।


🤝 5. शादी एक रस्म नहीं, एक इमोशनल क्रांति है…

कभी सोचा है, एक लड़की अपने पूरे बचपन, युवावस्था और आदतों को छोड़कर एक अजनबी घर में सिर्फ एक वचन पर चली जाती है – “अब ये तुम्हारा घर है।” कितना विश्वास चाहिए खुद को खोकर नया रिश्ता निभाने के लिए।


💬 निष्कर्ष:

बेटी की विदाई एक ऐसा सच है जिसे हर माँ-बाप सहते हैं और हर लड़की महसूस करती है। ये सिर्फ रस्म नहीं, एक जज़्बातों का समंदर है – जहाँ हर आंसू प्यार में भीगा होता है। बेटी अगर पराई होती है, तो वो पराया घर भी अपना बन जाता है… पर मायका – मायका ही रहता है।